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Showing posts from May, 2020

इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) बढ़ाने के घरेलू उपाय

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इम्युनिटी को हिंदी में रोग प्रतिरोधक क्षमता या प्रतिरक्षा कहा जाता है। ये किसी भी प्रकार के रोग पैदा  करने वाले- बैक्टीरिया, वायरस आदि) से शरीर को लड़ने की क्षमता देती है, यही हमारे शरीर को बीमारियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है।  अगर आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर है, तो आप सेहत की समस्याओं से बचे रह सकते हैं, लेकिन अगर आपकी प्रतिरोधक क्षमता में कमी आती है तो इसका सीधा असर आपकी सेहत पर पड़ता है और बीमारियां आपको आसानी से घेर सकती हैं।   डॉक्टरों के मुताबिक अनियमित खानपान, अनिद्रा, देर रात तक कार्य करने की आदत और अनियमित दिनचर्या के कारण लोगों में इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) घट रही है। इसके अलावा डॉक्टरों के मुताबिक मौसम बदलाव के दौरान भी बाहरी बेक्टेरिया व वारयस ज्यादा शक्तिशाली हो जाते है और इस समय शरीर में कई तरह के वारयस अटेक करते हैं जिससे हमारी इम्यून क्षमता प्रभावित होती है।   आहार,  , उम्र, व्यायाम, मानसिक तनाव और  अन्य कारणों का भी प्रतिरोधक क्षमता पर असर होता है, इसके अलावा सामान्य स्वस्थ जीवनशैली प्रतिरोधक क्षमता को बढाने का एक बहुत अच्छा तरीका है।  इम्यून सिस्टम

Kale jeere ke fayde/काले जीरे के फायदे

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Kale jeere ke fayde/काले जीरे के फायदे रसोई में इस्तेमाल होने वाले मसालों में काला जीरा भी प्रमुखता से शामिल है, जो घर में इस्तेमाल किए जाने वाले जीरा का ही एक रूप है। लेकिन यह स्वाद में थोड़ी कड़वाहट लिए होता है और सदियों से हर्बल औषधि के रूप में छोटी-मोटी बीमारियों के इलाज में इसका इस्तेमाल किया जाता रहा है। यह साधारण जीरे से थोड़ा अलग होता है।   पाचन तंत्र की कोई भी परेशानी हो काले जीरे के इस्तेमाल से अवश्य राहत मिलती है। प्रेगनेंसी के बाद महिलाओं को इसका सेवन करना बेहद लाभकारी होता है।  काले जीरे का उपयोग करने से डायबिटीज के मरीजों को बहुत फायदा होता है। काले जीरे का इस्तेमाल करने से कैंसर जैसी बीमारी का खतरा भी कम होता है।   काला जीरा फैट को गला कर अपशिष्ट पदार्थों के माध्यम से शरीर से बाहर निकालने में मदद कर सकता है।  इस तरह यह आपको चुस्त-दुरुस्त बनाने में सहायक साबित हो सकता है। ( Kale jeere ke fayde) इसे भी पढ़ें- झुर्रियों को दूर करने के घरेलू उपाय जानते हैं काले जीरे से होने वाले खास फायदों के बारे में- १.  अगर 3 महीने तक लगातार काले जीरे का सेवन किया जाए, तो शर

बेल के फायदे और नुकसान

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बेल का नाम सुनते ही सबसे पहले हमें इसके जूस की याद आती है। गर्मियों में सड़क किनारे और बाजार में जूस के ठेलों पर इस फल का जूस तेजी से बिकना शुरू हो जाता है।  हिंदू धर्म में भगवान शिव-पार्वती की पूजा के लिए बेल का उपयोग किया जाता है।  गर्मी के दुष्प्रभाव और सेहत की हर समस्या के लिए बेल का प्रयोग रामबाण है। यह न केवल शरीर में ठंडक पैदा करेगा बल्कि आपको सेहत से जुड़े ऐसे लाभ देगा, जिसके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। गर्मियों में रामबाण है बेल और उसका शर्बत।   विटामिन सी की कमी के कारण लोग स्कर्वी रोग से ग्रस्त हो जाते हैं। इसके  कारण पाचन क्रिया पर भी असर पड़ता है. बेल विटामिन सी का अच्छा स्त्रोत है।  बेल का इस्तेमाल कई तरह की दवाइयों को बनाने में तो किया जाता है साथ ही ये कई स्वादिष्ट व्यंजनों में भी प्रमुखता से इस्तेमाल होता है। बेल में प्रोटीन, बीटा-कैरोटीन, थायमीन, राइबोफ्लेविन और विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। बेल एक प्रकार का फल होता है। इसका कच्चा फल हरे रंग की एक सख्त परत से ढका होता है। वहीं, यह पकने के बाद पीले रंग का हो जाता है और इसकी बाहरी परत सख्त रहती है।

Adrak ke fayde/अदरक के फायदे

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Adrak ke fayde/अदरक के फायदे अदरक एक ऐसी औषधि है, जो खाने में स्वाद बढ़ाने के साथ ही कई बीमारियों से दूर रखने में भी काफी मददगार है।  अदरक में आपको स्वस्थ रखने की जबरदस्त शक्ति होती है। भारतवासियों को 5,000 साल पहले से अदरक में पाए जाने वाले गुणों के विषय में जानकारी है।  घर में आसानी से उपलब्ध अदरक आपके लाखों दुखों की दवा है। आयुर्वेद में अदरक का काफी महत्व बताया गया है। रोजाना अदरक का सेवन करने से आपके शरीर में कई बड़े बदलाव देखे जा सकते हैं। किसी भी रूप में इसके रूटीन को फॉलो करने पर आपको फर्क महसूस जरूर होगा। बदलते मौसम में आपके पेट को दुरुस्त रखने के अलावा अदरक सेहत के लिए कैसे वरदान है। अदरक को फ्रेश, सूखा, पाउडर, ऑयल या जूस के रूप में लिया जा सकता है। खाने की चीजों और सौंदर्य प्रसाधन आदि में इस्तेमाल किया जाता है। यह खाने की रेसिपी में इस्तेमाल की जाने वाली बहुत सामान्य सामग्री है। अदरक में बहुत सारे विटामिन्स के साथ-साथ मैग्नीज और कॉपर भी पाए जाते हैं जिनकी शरीर को सुचारु रूप से चलाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसे विभिन्न तरीकों से उपयोग में लाया जा सकता है, पर अद

Pradushan se bachne ke upay/प्रदूषण से बचने के उपाय

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Pradushan se bachne ke upay/प्रदूषण से बचने के उपाय इन दिनों लोग वातावरण में फैल रहे स्मॉग या वायु प्रदूषण से जूझ रहे हैं। स्मॉग के प्रदूषक तत्व सांस के जरिये हमारे शरीर में पहुंच जाते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित होते हैं। ये कुछ समय बाद फेफड़ों की कार्यक्षमता को प्रभावित करते हैं। साथ ही हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, डायबिटीज, साइनोसाइटिस आदि स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं। प्रदूषण का स्वस्थ व्यक्ति की सेहत पर भी सीधा खतरा है। इससे बचने के लिए हमें अपने शरीर में ऑक्सीकरण रोधी स्तर को बढ़ाना होगा।  हमारी रसोई में ही इसके उपाय छिपे हैं जो शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देंगे, जिससे प्रदूषण के खतरे से लड़ा जा सकता है। शरीर की शक्ति बढ़ाने के लिए नौ पोषक तत्वों का सेवन जरूरी है। जिनमें विटामिन ए, बीटा कारोटीन, विटामिन बी-2, रिबोफ्लेविन, मैग्नीशियम, जिंक, कॉपर, मैग्नीशियम और सेलेनियम शामिल हैं। ये औषधि, फल, सब्जी और मसालों में मिलते हैं।  प्रदूषण से बचने के लिए जरूरी है कि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो। प्रदूषण के अति सूक्ष्म तत्व, जिन्हें मेडिकल की भ

अश्वगंधा फायदे व नुकसान

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अश्वगंधा एक बहुत ही बेहतरीन प्राकृतिक औषधीय जड़ी बूटी है, जिसका सेवन शरीर की अनेकों समस्याओं के समाधान के लिए किया जाता है। आयुर्वेद में बेहद महत्व रखने वाला अश्वगंधा, एक ऐसी औषधि है जो न केवल आपके तनाव को दूर करती है बल्कि सेहत और सौंदर्य से जुड़े कुछ फायदे भी देती है। अश्वगंधा को आयुर्वेद में बेहतरीन औषधियों में से एक माना गया है। आयुर्वेद में इसे खास स्थान हासिल है। यह केवल एक पौधा मात्र नहीं है, बल्कि कई बीमारियों को जड़ से खत्म करने की बेहतरीन औषधि भी है। यही वजह है कि इसकी जड़ों और पत्तियों से कई तरह की दवाएं बनाई जाती हैं। अश्वगंधा ऐसी आयुर्वेदिक औषधि है, जिसे किसी परिचय की जरूरत नहीं है। अनगिनत लाभों के कारण ही सदियों से विश्वभर में इसका उपयोग किया जा रहा है। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि अश्वगंधा गुणकारी औषधि है। तनावग्रस्त लोगों को भी अश्वगंधा का सेवन करने की सलाह दी जाती है। तनाव में अश्वगंधा शरीर में रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) को कम करता है एवं दिमाग की कार्य क्षमता को बढ़ाता है। अश्वगंधा का उपयोग मुख्य रूप से अश्वगंधा चूर्ण रूप में किया जाता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लेमेटर