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गर्मियों के दौरान लू लगने और स्किन की समस्या सबसे आम होती हैं। हवा के गर्म थपेड़ों और बढ़े हुए तापमान से लू लगने का खतरा बढ़ जाता है। चिलचिलाती धूप, उमस और गर्म हवाएं जिनके हद में पड़ते ही हम बीमार महसूस करने लगते हैं। इस मौसम में गर्म हवा यानी लू सबसे अधिक मुसीबत खड़ी करती है। वैसे तो लू कोई बिमारी नहीं है लेकिन फिर भी लू के कारण शरीर कमजोर पड़ जाता है और बुखार आने लगता है। इंसान का शरीर 37 डिग्री तक तापमान सहन करने में सक्षम होता है. तापमान इससे ऊपर जाने पर शरीर में कई प्रकार की दिक्कत महसूस होने लगती है, शरीर से पानी खत्म होने लगता है खून गाढ़ा हो जाता है. इस मौसम में सबसे बुरी चीज है हीट स्ट्रोक या लू। दोपहर के समय गर्म हवा के थपेड़ों और चिलचिलाती धूप के कारण बाहर जाना काफी मुश्किल हो जाता है। इस कारण हम घर से निकलना भी बंद नहीं कर सकते, क्योंकि ऐसा करने पर हमारे तो सारे काम ही बंद हो जाएंगे। लू लगने से बचने के उपाय बहुत सरल हैं। अगर इन बातों का ध्यान रखा जाए तो लू से बचा जा सकता है। लू से बचने के उपाय में घरेलू चीजें शामिल हैं, जिन्हें आप आसान...
गुड़हल के फूल पत्तियों के फायदे और नुकसान( gudhal ke phool ka upyog) गुड़हल के फूल को अड़हुल का फूल भी बोलते हैं। अधिकांशतः गुड़हल के फूल का इस्तेमाल पूजा-पाठ आदि कामों के लिए किया जाता है, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि गुड़हल के फूल का सेवन भी किया जाता है, और रोगों के इलाज में भी गुड़हल के फूल के फायदे मिलते हैं। ( gudhal ke phool ka upyog) ऐसे कई गुडहल के फूल हैं जो कि अलग-अलग रंगों में पाये जाते हैं जैसे, लाल, सफेद , गुलाबी, पीला और बैगनी आदि।गुडहल एक आम सा फूल है जो कि देखने में सुंदर होता है। यह सुंदर सा गुडहल का फूल स्वास्थ्य के खजाने से भरा पड़ा है। आयुर्वेद में गुड़हल के पेड़ को एक संपूर्ण रूप में औषधि के तौर पर दर्ज किया गया है। इसकी जड़ से लेकर फूल तक, हर एक चीज किसी न किसी बीमारी के लिए रामबाण है। गुड़हल का वैज्ञानिक नाम हिबिस्कस सब्दरिफा है। इसको हिबिस्कस फ्लावर के नाम से भी जाना जाता है। भगवान की पूजा में इस्तेमाल होने वाला ये फूल बालों के अलावा त्वचा और ओ रोजाना से जुड़ी अनेक परेशानियों व रोगों में भी फायदेमंद होता है।दवाओं में गुड़हल का बहुत उपयोग होता है और इससे क...
हरसिंगार के औषधीय लाभ(harsingar ka paudha) हरसिंगार को नाइट जैस्मीन और पारिजात के नाम से भी जाना जाता है। इसके फूलों का इस्तेमाल अक्सर भगवान को पुष्पांजलि अर्पित करने के लिए किया जाता है।इसके पुष्प रात के समय खिलकर वातावरण को सुगंधित करते है और झड़ जाते हैं। हरसिंगार का वृक्ष झाड़ीनुमा या छोटा पेड़ जैसा होता है। इसके पेड़ की छाल जगह-जगह परत दर सलेटी से रंग की होती है एवं पत्तियाँ हल्की रोयेंदार छह से बारह सेमी लंबी और ढाई से.मी. चौड़ी होती हैं। (harsingar ka paudha) हरसिंगार के पेड़ पर रात्रि में खुशबूदार छोटे छोटे सफ़ेद फूल आते है, और एवं फूल की डंडी नारंगी रंग की होती है।आयु की दृष्टि से एक हज़ार से पाँच हज़ार वर्ष तक जीवित रहने वाले इस वृक्ष को वनस्पति शास्त्री एडोसोनिया वर्ग का मानते हैं, जिसकी दुनिया भर में सिर्फ़ पाँच प्रजातियाँ पाई जाती हैं।हरसिंगार के पत्तियों में बेंजोइक एसिड, फ्रक्टोज, ग्लूकोज, कैरोटिन, एस्कॉर्बिक एसिड जैसे कई तरह के पोषक तत्व पाये जाते हैं। जबकि हरसिंगार के फूलों में ग्लाकोसाइड्स होता है और इससे गुणकारी आवश्यक ऑयल निकाले जाते हैं। हरसिंगार क...
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