harsingar ka paudha/हरसिंगार के औषधीय लाभ



हरसिंगार के औषधीय लाभ(harsingar ka paudha)

हरसिंगार को नाइट जैस्मीन और पारिजात के नाम से भी जाना जाता है। इसके फूलों का इस्तेमाल अक्सर भगवान को पुष्पांजलि अर्पित करने के लिए किया जाता है।इसके पुष्प रात के समय खिलकर वातावरण को सुगंधित करते है और झड़ जाते हैं। हरसिंगार का वृक्ष झाड़ीनुमा या छोटा पेड़ जैसा होता है।  इसके पेड़ की छाल जगह-जगह परत दर सलेटी से रंग की होती है एवं पत्तियाँ हल्की रोयेंदार छह से बारह सेमी लंबी और ढाई से.मी. चौड़ी होती हैं। (harsingar ka paudha)
हरसिंगार के पेड़ पर रात्रि में खुशबूदार छोटे छोटे सफ़ेद फूल आते है, और एवं फूल की डंडी नारंगी रंग की होती है।आयु की दृष्टि से एक हज़ार से पाँच हज़ार वर्ष तक जीवित रहने वाले इस वृक्ष को वनस्पति शास्त्री एडोसोनिया वर्ग का मानते हैं, जिसकी दुनिया भर में सिर्फ़ पाँच प्रजातियाँ पाई जाती हैं।हरसिंगार के पत्तियों में बेंजोइक एसिड, फ्रक्टोज, ग्लूकोज, कैरोटिन, एस्कॉर्बिक एसिड जैसे कई तरह के पोषक तत्व पाये जाते हैं। जबकि हरसिंगार के फूलों में ग्लाकोसाइड्स होता है और इससे गुणकारी आवश्यक ऑयल निकाले जाते हैं। हरसिंगार के बीज में पाल्मिटिक, ओलेइक और मिरिस्टिक एसिड पाया जाता है। हरसिंगार के छाल में एल्केनॉयड और ग्लाइकोसाइड्स की मात्रा होती है। हरसिंगार के फूलों में कवकरोधी और विषाणुरोधी गुण पाया जाता है।(harsingar ka paudha) इन सारे पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण हरसिंगार का उपयोग बीमारियों के इलाज में किया जाता है।औषधीय गुणों से भरपूर हरसिंगार में एंटीवायरस और एंटीफंगल गुण पाये जाते हैं जो शरीर को इंफेक्शन से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जिन लोगों को गठिया की भी शिकायत होती है उन लोगों के लिए भी हरसिंगार काफी फायदेमंद माना जाता है। इसका इस्तेमाल करने से ये बंद रक्त की नाड़ियों को खोलने का काम करता है। इसके अलावा, लोग हरसिंगार की पत्तियों से बनी चाय पीना भी पसंद करते हैं जिसे हर्बल टी की श्रेणी में माना जाता है। पारिजात का पौधा लगभग 10 से 15 फीट और कहीं-कहीं 25 से 30 फीट तक बड़ा हो सकता है। इसकी अधिकांश शाखाएं जमीन की तरफ झुकी हो सकती हैं।लोगों को यह जानकारी ही नहीं है कि हरसिंगार के फायदे एक-दो नहीं बल्कि बहुत सारे हैं। (harsingar ka paudha)

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हरसिंगार के निम्न रूपों का इस्तेमाल आप इस तरह से कर सकते है -
पारिजात के पत्ते और
पारिजात का फूल
पारिजात का बीज
पारिजात का तना(Harsingar ke aushadhiya labh)

प्रतिदिन हरसिंगार के सेवन की अधिकतम खुराक हो सकती हैः
पारिजात की पत्तियां – 3 से 4
पारिजात का चूर्ण – 1 से 3 ग्राम
पारिजात का रस – 10 से 20 मिली
पारिजात का काढ़ा – 50 से 100 मिली

हरसिंगार के फायदे :
(Harsingar ke aushadhiya labh)

1.  हरसिंगार के दो पत्ते और चार फूलों को पांच से 6 कप पानी में उबालकर, 5 कप चाय आसानी से बनाई जा सकती है। इसमें दूध का इस्तेमाल नहीं होता। यह स्फूर्तिदायक होती है।

2.  500 मिग्रा पारिजात की छाल का चूर्ण बनाएं। इसका सेवन करने से खांसी ठीक होती है।

3.  अगर आप बार-बार पेशाब करने की परेशानी से ग्रस्त हैं तो पारिजात का पेड़ लाभ दिलाएगा। पारिजात के पेड़ के तने के पत्ते, जड़, और फूल का काढ़ा बनाएं। इसे 10-30 मिली मात्रा में सेवन करें। इससे बार-बार पेशाब करने की परेशानी खत्म होती है।

4.  पारिजात के बीज का पेस्ट बनाएं। इसे सिर की त्वचा पर होने वाली फोड़े-फुन्सी या अन्य सामान्य घाव पर लगाएँ। इससे घाव ठीक हो जाता है।

5.  पारिजात की जड़ का काढ़ा बनाएं। इसकी 10-30 मिली की मात्रा सेवन करें। इससे गठिया में फायदा होता है।

6.  पारिजात, अपामार्ग तथा तालमखाना के क्षार (125-250 मिग्रा) को तेल में मिलाएं। इसका सेवन करने से तिल्ली रोग में लाभ होता है।(Harsingar ke aushadhiya labh)

7.  दाद में भी पारिजात के गुण से लाभ लिया जा सकता है। पारिजात के पत्तों को घिसकर रस निकाल लें। इसको दाद वाले अंग पर लगाएं। इससे दाद ठीक होता है।

8.  बबासीर के लिए हरसिंगार के बीज रामबाण औषधि माने गए हैं इसके एक बीज का सेवन प्रतिदिन किया जाये तो बवासीर रोग ठीक हो जाता है। यदि गुदाद्वार में सूजन या मस्से हों तो हरसिंगार के बीजों का लेप बनाकर गुदा पर लगाने से लाभ होता है।

9.  बुखार में हरसिंगार की पत्तियों की चाय पीना बेहद लाभप्रद होता है। डेंगू से लेकर मलेरिया या फिर चिकनगुनिया तक, हर तरह के बुखार को खत्म करने की क्षमता इसमें होती है। मलेरिया बुखार हो तो 2 चम्मच हरसिंगार के पत्ते का रस के साथ 2 चम्मच अदरक का रस और 2 चम्मच शहद आपस में मिलाकर प्रातः सायं सेवन करने से मलेरिया/डेंगू /चिकनगुनिया के बुखार में अत्यधिक लाभ होता है।

10. हरसिंगार के बीज को पानी के साथ पीसकर सिर के गंजेपन की जगह लगाने से सिर में नये बाल आना शुरू हो जाते हैं। इसके साथ ही यह रूसी और सफेद बालों को भी ठीक करता है। 50 ग्राम हरसिंगार के बीज पीस कर 1 लीटर पानी में मिलाकर बाल धोने से रुसी समाप्त हो जाती है । इसका प्रयोग सप्ताह में 3 बार करें ।

11. हरसिंगार के फूलों का पेस्ट और मैदा को दूध मिलाकर उबटन बना लें। शरीर पर लेप करने के 30 मिनट बाद स्नान कर लें। इस प्रयोग से त्वचा में निखार आता है।

12. इसके तेल से मसाज करने पर त्वचा में लचीलापन आता है और त्वचा की नमी हमेशा बरकरार रहती है।(harsingar ka paudha)

13. सांस संबंधी रोगों में हरसिंगार की छाल का चूर्ण बनाकर पान के पत्ते में डालकर खाने से लाभ होता है। इसका प्रयोग सुबह और शाम को किया जा सकता है। अस्थमा की खांसी में आधा चम्मच हरसिंगार के ताने कि छाल का चूर्ण पान के पत्ते में रखकर चूसने से लाभ मिलता है। इस प्रयोग को दिन में दो बार करना चाहिए।

14. इसके फूल हृदय के लिए भी उत्तम औषधी माने जाते हैं। वर्ष में एक माह पारिजात पर फूल आने पर यदि इन फूलों का या फिर फूलों के रस का सेवन किया जाए तो हृदय रोग से बचा जा सकता है।

15. पारिजात की कोंपल को यदि पाँच काली मिर्च के साथ महिलाएँ सेवन करें तो महिलाओं को स्त्री रोग में लाभ मिलता है। 

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16. मुक्त कण हमारे शरीर की कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त कर देते हैं जिसकी वजह से शरीर में कई बीमारियां पैदा होने लगती हैं। इसे ऑक्सीडेटिव डैमेज कहते हैं। इन कोशिकाओं को टूटने से बचाने के लिए एंटीऑक्सीडेंट की जरूरत पड़ती है। हरसिंगार में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है जो मुक्त कणों को दूर करता है। इसके अलावा हरसिंगार कैंसर कोशिकाओं के विकास को भी रोकता है और बढ़ती उम्र के लक्षणों को भी कम करता है।

17. प्रातः,दोपहर एवं सायंकाल एक चम्मच हरसिंगार के पत्तों के रस में आधा चम्मच शहद मिला कर चाटने पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं। इस प्रयोग को कम से कम तीन दिन तक करना चाहिए।

18. स्थ्य व्यक्ति भी यदि सर्दियों में एक सप्ताह तक हरसिंगार के पत्तों का काढ़ा पियें तो शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढती है एवं शरीर यदि किसी प्रकार का संक्रमण हो रहा है तो वह भी समाप्त हो जाता है। हाथ-पैरों व मांसपेशियों में दर्द व खिंचाव होने पर हरसिंगार के पत्तों के रस में बराबर मात्रा में अदरक का रस मिलाकर पीने से फायदा होता है। इसके फूल ठण्डे दिमाग वालों को शक्ति देता है और गर्मी को कम करता है।

19. हरसिंगार में हेपाटो प्रोटेक्टिव गतिविधि पाई जाती है, जो लीवर को होने वाले नुकसान को रोकने में मदद करती है वहीं, लीवर का काम रक्त में मौजूद विषाक्त पदार्थों को निकालना होता है । इसलिए, हरसिंगार को ब्लड डिटॉक्सीफिकेशन में सहायक माना जा सकता है।

20. हरसिंगर लैक्सेटिव गुणों से समृद्ध होता है। यह पाचन प्रक्रिया में मदद करता है और गैस की समस्या को दूर करने का काम कर सकता है।(Harsingar ke aushadhiya labh)

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हरसिंगार के नुकसान-

गर्भवतियों को इसे न खाने की सलाह दी जाती है।
हरसिंगार एलर्जी का कारण भी बन सकता है।
इसके फूल वैसे तो ठन्डे होते है पर कोई -कोई फूल गर्म स्वभाव के कारण खांसी में हानिकारक हो सकते है।
हरसिंगार का उपयोग स्वाद में कड़वा होता है, जो लोग कड़वे स्वाद के प्रति संवेदनशील होते हैं, हरसिंगार का सेवन करने से उनका जी मिचला सकता है और उल्टी भी हो सकती है।(Harsingar ke aushadhiya labh)
हरसिंगार की पत्तियां खाने के बाद जीभ पीली पड़ जाती है इसलिए पत्तियों का सेवन करने से पहले यह ध्यान रखना चाहिए।
कफ को दूर करने के लिए हरसिंगार का सेवन अधिक नहीं करना चाहिए अन्यथा यह गले में परेशानी पैदा कर सकता है।
हरसिंगार के पत्तों से बना काढ़ा हमेशा बैठकर पीना चाहिए। 
इसका सेवन करते समय आपको कोई भी दूसरी दवा नहीं लेनी चाहिए।(harsingar ka paudha)

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